हमारे यहां बच्चों की मालिश की परंपरा बहुत पुरानी है हमारी दादी नानी के पीटारा का सबसे खास नुस्खा है। जिससे बच्चों को बहुत आराम महसूस होता है और उनका विकास भी बहुत अच्छे से होता है उनको देखते-देखते हमने भी कहीं ना कहीं यह सीख लिया है जान भी लिया है कि मालिश बहुत जरूरी होती है।
बच्चे के लिए इसके बहुत सारे फायदे हैं यदि हम ध्यान दें तो पहले के जमाने में जब बच्चों की मालिश होती थी बच्चे काफी खुश होते थे वही सारी चीजें हमें सीखनी है और आगे भी अपने बच्चों की मालिश करनी है बहुत सारे रिसर्च बताते हैं की मालिश करने से बच्चे का शरीर बहुत ही स्फूर्ति रहता है वो स्वस्थ रहते हैं और हमेशा खुश मिजाज भी रहते है। उनके शरीर में किसी प्रकार की ऐठन नहीं होती जो मालिश के जरिए सही हो जाती है।
बच्चों की मालिश सुबह दोपहर शाम तीन टाइम करनी चाहिए। ध्यान रखें जब बच्चा बहुत छोटा हो तो सिर्फ एक बार ही मालिश करें वह भी मालिश करने का सही समय बच्चे के 1 महीने होने के बाद ही है क्योंकि पहले 1 महीने बच्चा बहुत ही कमजोर पर हल्का होता है। उसके शरीर में कहीं से कड़ापन नहीं होता तो ऐसे में कहीं ना कहीं मोड़ने का डर रहता है 1 महीने होने पर थोड़ा सा कड़ापन आता है। मालिश करने में भी काफी आराम रहता है।
गर्मी के दिनो की मालिश –
अगर आप गर्मी ने मालिश करते है तो सुबह नॉर्मल तेल से मालिश करें फिर 11:00 बजे तक नहलाएं नहाते ही बच्चा सो जाएगा क्योंकि उसको बहुत सुकून मिलता है। नहलाने के बाद लोशन से मालिश जरूर करें फिर बच्चा सो जाएगा। उठने के बाद आराम से पाउडर से मालिश करें ये रुठीन अगर पूरी गर्मी भर रखते हैं तो बच्चा बहुत ही स्वस्थ होगा हाथी बहुत स्फूर्त भी होगा।
ठंडी के दिनो की मालिश –
अगर ठंडी में मालिश करें तो सिर्फ दो बार ही मालिश करें। सुबह में जब आप मालिश करें तो शुद्ध सरसों के तेल से करें अगर बच्चे को सर्दी लगी हो तो पका हुआ सरसो का तेल इस्तेमाल करे। उस तेल में दो चार कली लहसुन और एक चम्मच अजवाइन पकाएं ठंडा होने पर छान ले और एक बोतल में भर दे इस तेल से सुबह में मालिश करे।
इसकी मालिश से बच्चे को सर्दी नहीं लगेगी और लगी हुई सर्दी भी ठीक हो जाएगी। दोबारा मालिश दोपहर में करें जब बच्चे को स्नान करा ले लोशन से या फिर पाउडर से मालिश करें। लेकिन ध्यान रखें अगर बच्चा बीमार हो या उसे बुखार हो मालिश ना करें या अगर बच्चा शारीरिक रूप से किसी प्रकार से विक्षिप्त हो तो डॉक्टर की सलाह से ही मालिश करें।
मालिश करते समय सबसे पहले हमें उसके पेट हाथ और पैर पर लगाकर हल्के हाथों से लगाना चाहिए पैरों और हाथों में गोलाई रूप से करना चाहिए तेल को अच्छे से सुखवा देना चाहिए फिर बच्चे को पेट के बल लेट आना चाहिए फिर पीठ पर भी यही प्रक्रिया चाहिए तेल अच्छी तरह से सूख जाए शरीर में तब बच्चे को उठाकर बिठाना चाहिए पैरों भी हल्के हाथ से मोड़ना चाहिए इसे अगर बच्चे के पेट में गैस होगी गैस खुलेगी बच्चे के पेट में दर्द नहीं होगा स्वस्थ होगा आखिरी में सिर पर तेल की मालिश करनी चाहिए।
बच्चों की मालिश कितने महीने तक करनी चाहिए?
बच्चों को मां की केयर बहुत पसंद है अपनी मां को थोड़ी देर नहीं देखते हैं तो परेशान होते हैं मां के हाथों का मसाज बच्चों को बहुत सुकून देता है अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं बच्चा सबसे पहले अपने माँ को पहचानता है यदि बच्चे की मालिश होती है तो बच्चे के पेट में गैस बनने की किसी प्रकार से भी पेट दर्द लैट्रिन जैसे शिकायत नहीं होती है होती भी है तो काफी कम होती है।
आपको को ध्यान होगा पहले के जमाने में जब दादी नानी तेल की मालिश करती थी तो थोड़ा तेल कान में और नाक में डाल देती थी एक एक बूंद उस बूंद का कमाल बहुत गजब का था कान के खुट साफ हो जाया करती थी। नाक में किसी प्रकार की गंदगी नहीं रहती थी बच्चे को सांस लेने की दिक्कत नहीं होती थी सर्दी खासी और नजले की शिकायत नहीं होती थी अधिकतर बच्चा स्वस्थ रहता था।
शुरुआत के समय 1 महीने के बाद बच्चे के सिर पर बिल्कुल भी परेशान नहीं देना चाहिए क्योंकि वह बहुत ही मुलायम होता है ज्यादा प्रेशर देने पर कहीं की नसें लगने की आशंका रहती है हाथ से थपथपाना चाहिए जब से थोड़ा कड़ा होने लगे तब दबाकर मालिश कर सकते हैं वैसे मालिश का समय 2 या 2.5 साल तक ही है।
आराम से यानी जब बच्चा आपकी गोद में लेट कर मालिश कर आता है बड़ा हो जाता है तब तो वो भागता है मालिश नहीं करवाना चाहता बस ये हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करना है हम कब समय निकाल सकते हैं।
अपने बच्चे की मालिश के लिए जैसे-जैसे एक बच्चा बड़ा होता है वैसे वैसे उसका मालिश का तरीका भी बदलता है पहले को गोद में लेट कर मालिश करवाता है फिर बैठ कर तो फिर कभी कभी तो खड़े-खड़े कभी-कभी तो यह भी बोलेगा कि नहीं करवाना। कुछ दिनों बाद हम उसे भी सिखा सकते हैं अपने पैरों की हाथों की मालिश कैसे करनी है इसका शरीर मोटराइज्ड रहेगा, नमी बनी रहेगी।
हां यह बात अलग है कि वो मां जैसी मालिश नहीं कर पाएगा लेकिन फिर भी अपने शरीर का ध्यान रख पाएगा बड़े लोगों को भी मालिश करते हुए जरूर देखा होगा आपने नहाने से पहले यदि बच्चे को आदत होंगी पहले तेल से मालिश करके ही नहीं आएगा कोई भी तेल हो क्योंकि उसको आदत हो जाएगी उसको आराम भी मिलेगा तो वह जरूर करेगा।
साथी अपने अपने से भी बोलेगा की मालिश किया करो स्ट्रांग रहोगे। बहुत सारी माए अपने बच्चे को मालिश की आदत डालती है जो बच्चे फॉलो भी करते है। जरूरी नहीं है कि रोज मालिश हो बड़े होने पर बच्चे 1 सप्ताह में भी मालिश करते हैं स्ट्रांग रहते हैं और यह भी जरूरी नहीं है सिर्फ तेल से मालिश हो मालिश के लिए कोई लोशन भी यूज कर सकते हैं जो बॉडी कलर और बॉडी को मोस्चराइज रखें।
बच्चे का रंग गोरा कैसे करें?
बच्चे तो भगवान का दूसरा रूप होते हैं और वो जैसे होते हैं उनको उसी रुप मे वैसे ही एक्सेप्ट भी करना चाहिए। क्योंकि उनका रंग उनके माता-पिता के हार्मोन पर आधारित होता है यकीन मानिए दुनिया की कोई क्रीम कोई लोशन नेचुरल कलर नहीं बदल सकती। हां थोड़ा सा लाइट तो जरूर कर सकती है।
लेकिन एक्चुअल कलर बदल नहीं सकता। किसी प्रकार की कोई बाजारों क्रीम पर भरोसा ना करें इससे बढ़िया होगा दादी नानी के बनाए हुए उबटन पर भरोसा करें वह कलर को भी लाइट कर सकता है और एक चमक को भी बरकरार रख सकता है वह भी प्राकृतिक तरीके से।
सरसों का उबटन

आपने सरसों के उबटन के बारे में तो जरूर सुना होगा सिलबट्टी पर उसे धीरे-धीरे पीस लीजिए बिल्कुल महीन पर ध्यान रखिए सरसों हल्की भुनी हुई हो कच्ची सरसो में काफी झार होती है जो मालिश के लिए यूज नहीं होती यह भुनी हुई पिसी हुई सरसों का उबटन एक में एक चुटकी हल्दी मिलाएं और बच्चे के शरीर पर हल्के हाथों से लगाए हल्का सूख जाए हल्के हाथों से रगड़ दे उबटन छूट जाएगा और साथ में शरीर की मैल और गंदगी भी ले जाएगा। पर ध्यान दें ज्यादा छोटे बच्चों पर ना लगाएं 3 महीने के बाद के बच्चों पर सरसों का उबटन लगाएं रंग निखारने के साथ-साथ शरीर की गंदगी साफ करता है।
बेसन का उबटन

बेसन का बना हुआ उपटन भी आपने सुना होगा ये उबटन बड़े भी इस्तेमाल करते बड़े भी अपनी रंगत को निखारने के लिए और साफ सफाई के लिए बेसन और हल्दी उबटन इस्तेमाल करते हैं। एक बनाने के लिए एक चम्मच बेसन एक चुटकी हल्दी थोड़ी सी मलाई हल्का सा पानी डालकर मिक्स कर ले थोड़ा गाढ़ा ही रखें पर बच्चे के हाथों पैरों पर शरीर पर मालिश करें सूखने के बाद हल्के कपड़े से झाड़ दें इस रंग भी नहीं खाता है और मेल भी साफ हो जाती है
चिरौंजी और जौ का उबटन

तीसरा उबटन चिरौंजी और जौ का उबटन है एक चम्मच जो हमें एक चुटकी चिरौंजी का पाउडर मिलाएं थोड़ी सी मलाई कुछ बूंदे नींबू के रस की मिला है हल्का गाढ़ा घोल तैयार करें बच्चे के शरीर पर हाथों और पैरों पर लगाएं सुखी पर रगड़ का छुड़ा दे इसे बचपन में जो शरीर पर रोए होते हैं वह कम हो जाते हैं और साथ ही कलर भी फेयर होता है।
आटा और हल्दी का उबटन

चौथा उबटन है आटा और हल्दी का इसमें अधिक मात्रा में यानि की दो चम्मच आटा ले और एक चुटकी हल्दी थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाकर गाढ़ा घोल तैयार करें इसको भी हम अप्लाई कर सकते हैं बाकी उपटन जैसे और आराम से छुड़ा दे यह भी रंग को निखारता है और मैल साफ करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. बच्चो को मालिश की आवश्यकता क्यो पड़ती है?
उत्तर – बच्चों के शरीर को विकास और हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए उन्हे मालिश की आवश्यकता पड़ती है।
प्रश्न 2. 1 दिन मे नवजात शिशु को कितनी बार मालिश करनी चाहिए?
उत्तर – 1 दिन मे नवजात शिशु को कम से कम दो से तीन बार मालिश करनी चाहिए।
प्रश्न 3. नवजात शिशु की मालिश के लिए कौन सा तेल इस्तेमाल करना चाहिए?
उत्तर – आप सरसों , नारियल , जैतून और बादाम के तेल का प्रयोग नवजात शिशु की मालिश के लिए कर सकते है। बस इस बात का विशेष ध्यान रहे कि तेलो का चयन मौसम के अनुसार ही करें।